आज के समय में शहरों में pollution हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा बन चुका है। सुबह घर से निकलते ही हवा में धुआँ, धूल और अजीब-सी जलन महसूस होने लगती है। कई बार तो सूरज भी साफ दिखाई नहीं देता। फिर भी नौकरी, पढ़ाई, इलाज या ज़रूरी कामों की वजह से बाहर निकलना ही पड़ता है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही होता है कि जब pollution बहुत ज़्यादा हो, तब travel कैसे किया जाए ताकि सेहत पर कम से कम असर पड़े। जब हवा साफ नहीं होती, तब सबसे पहले हमारा शरीर सांस के ज़रिये उसे अंदर लेता है। गंदी हवा सीधे फेफड़ों तक पहुँचती है और धीरे-धीरे थकान, सिरदर्द, आंखों में जलन और सांस लेने में परेशानी पैदा करने लगती है। कई लोगों को लगता है कि pollution का असर सिर्फ लंबे समय में होता है, लेकिन सच यह है कि एक ही दिन में भी शरीर पर इसका असर दिख सकता है, खासकर तब जब आप ज़्यादा देर तक बाहर सफर कर रहे हों।
Pollution वाले दिनों में travel से पहले थोड़ा सतर्क होना बहुत ज़रूरी है। बाहर निकलने से पहले हवा की स्थिति के बारे में जानकारी होना समझदारी है। जब AQI बहुत ज़्यादा होता है, तब बिना तैयारी निकलना खुद को नुकसान पहुँचाने जैसा है। ऐसे दिनों में कोशिश करनी चाहिए कि बाहर कम से कम समय बिताया जाए और जो भी सफर हो, वह सोच-समझकर किया जाए।
सबसे अहम चीज़ जो pollution में travel को थोड़ा सुरक्षित बना सकती है, वह है सही mask। बहुत लोग सिर्फ नाम के लिए पतला कपड़े वाला mask पहन लेते हैं, लेकिन वो असल में धुएँ और बारीक कणों से बचाव नहीं करता। जब हवा ज़हरीली हो, तब अच्छी quality वाला mask एक ढाल की तरह काम करता है। सही तरीके से पहना गया mask काफी हद तक गंदी हवा को अंदर जाने से रोकता है और सफर को थोड़ा आसान बना देता है।
Pollution में निकलते समय समय का चुनाव भी बहुत मायने रखता है। सुबह और शाम के वक्त हवा आमतौर पर ज़्यादा खराब होती है क्योंकि उस समय ट्रैफिक ज्यादा होता है और धुआँ हवा में जमा रहता है। दोपहर के समय जब धूप निकल आती है और हवा थोड़ी चलती है, तब हालात थोड़े बेहतर हो जाते हैं। अगर संभव हो तो अपने travel का समय ऐसा रखें जब हवा थोड़ी साफ हो। सफर के लिए किस साधन का इस्तेमाल किया जा रहा है, यह भी फर्क डालता है। खुले दोपहिया वाहन पर चलने से गंदी हवा सीधे चेहरे पर लगती है, जिससे नुकसान ज्यादा होता है। बंद वाहन या metro जैसे साधन थोड़ी राहत देते हैं क्योंकि वहाँ बाहरी हवा का असर कम पड़ता है। अगर कार से सफर कर रहे हों, तो खिड़कियाँ बंद रखकर अंदर की हवा को ही circulate करना ज़्यादा सुरक्षित रहता है।
Pollution सिर्फ फेफड़ों को ही नहीं, आंखों और त्वचा को भी परेशान करता है। सफर के दौरान आंखों में जलन होना या चेहरे पर चिपचिपापन महसूस होना आम बात है। ऐसे में चेहरे को ढकना और आंखों की सुरक्षा करना जरूरी हो जाता है। घर पहुँचने के बाद तुरंत हाथ-मुंह धोना और कपड़े बदल लेना pollution के असर को कम करने में मदद करता है।
लंबे सफर के दौरान शरीर में पानी की कमी नहीं होनी चाहिए। गंदी हवा शरीर के अंदर सूखापन और थकान बढ़ा देती है। पानी पीते रहना शरीर को थोड़ा संतुलन देता है और नुकसान को कम करता है। कई बार लोग बाहर रहते हुए पानी पीना भूल जाते हैं, जिससे हालत और खराब हो जाती है।
बच्चों, बुज़ुर्गों और पहले से बीमार लोगों के लिए pollution में travel और भी ज्यादा जोखिम भरा होता है। उनकी immunity कमजोर होती है, इसलिए गंदी हवा उन्हें जल्दी नुकसान पहुँचाती है। ऐसे लोगों के लिए जरूरी है कि बाहर निकलना तभी हो जब बहुत ज़रूरी हो और पूरा ध्यान रखा जाए। कई बार सिर्फ थोड़ी सी लापरवाही बड़ी परेशानी बन सकती है।
सफर खत्म होने के बाद भी खुद का ख्याल रखना जरूरी है। गले में खराश, भारीपन या थकान महसूस हो तो उसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। आराम करना, हल्का खाना खाना और शरीर को recover करने का समय देना pollution से लड़ने में मदद करता है। मजबूत immunity ही इस गंदी हवा से बचाव का सबसे अच्छा तरीका है।
आज के दौर में pollution से पूरी तरह बच पाना मुश्किल है, लेकिन समझदारी और सही आदतों से इसके असर को काफी हद तक कम किया जा सकता है। ज़रूरत से ज़्यादा बाहर निकलने से बचना, सही तरीके से travel करना और अपने शरीर के संकेतों को समझना बहुत ज़रूरी है। आखिरकार, कोई भी सफर या काम हमारी सेहत से बड़ा नहीं होता।
Pollution आज की सच्चाई है, लेकिन सही जानकारी और सावधानी से हम खुद को काफी हद तक सुरक्षित रख सकते हैं। ज़्यादा pollution में travel करते समय:
- Mask पहनना
- सही समय चुनना
- सही transport लेना
- Travel के बाद care करना
ये सब मिलकर आपकी सेहत बचाते हैं। अगर हम खुद भी सावधान रहें और दूसरों को भी जागरूक करें, तो pollution के नुकसान को कम किया जा सकता है।
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